10th Geography vvi Question :- बिहार बोर्ड मैट्रिक भूगोल परीक्षा  महत्वपूर्ण लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ।

10th Geography vvi Question :- बिहार बोर्ड मैट्रिक भूगोल परीक्षा  महत्वपूर्ण लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ।

 

15. जलोढ़ मृदा के विस्तार वाले राज्यों के नाम बताएँ। इस मृदा में कौन-कौन सी फसलें लगायी जा सकती हैं ?

उत्तर = भारत में सर्वाधिक क्षेत्र पर पायी जाने वाली मृदा जलोढ़ मृदा है। इस मृदा का निर्माण नदी अपरदन से लाये गये अवसादों के निक्षेपण अर्थात् जमा करने से होता है। उत्तर भारत का मैदान जलोढ़ निर्मित विश्व का सबसे गहरा मैदान है। जिसका सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदियों के निक्षेप से हुआ है। साथ ही राजस्थान एवं गुजरात में भी एक पट्टी के रूप में जलोढ़ ख़ुदा का प्रसार है। इसके अतिरिक्त प्रायद्वीपीय क्षेत्र की के विभिन्न नदी घाटियों में भी जलोढ़ मृदा पाया जाता है। साथ ही पूर्वी तटीय मैदान स्थित महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों के द्वारा निर्मित डेल्टा का भी निर्माण जलोढ से जुड़ा हुआ है। यह मिट्टी गन्ना, चावल, गेहूँ, मक्का, दलहन, जूट जैसे फसलों के लिए उपयुक्त है।

16. वन के पर्यावरणीय महत्व का वर्णन कीजिए ।

उत्तर = वन पर्यावरणीय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। पर्यावरण की गुणवत्ता को बढाने में वनों का योगदान निम्नलिखित है :- पर्यावरण

(i) वन स्थानीय जलवायु को सम बनाने में सहायक है तथा की स्थिरता को बनाये रखता है।

(ii) मृदा अपरदन को नियंत्रित करने तथा मिट्टी को उपजाऊ बनाने में सहायक है।

(iii) वन वर्षा की मात्रा और वायुमंडल में ऑक्सिजन की उपलब्धता

में वृद्धि लाता है।

(iv) वन नदी के प्रवाह और पवन की गति को कम करता है।

17. परमाणु शक्ति किन-किन खनिजों से प्राप्त होती है ?

उत्तर = परमाणु-शक्ति निम्नलिखित खनिजों से प्राप्त होती है। जैसे इल्मेनाइट, बेनेडियम, एंटीमनी, ग्रेफाइट, यूरेनियम इत्यादि ऐसे खनिज हैं जिनसे परमाणु शक्ति प्राप्त होती है।

18. – स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को सोदाहरण वर्गीकृत कीजिए।

उत्तर = स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है।

सार्वजनिक क्षेत्र के स्वामित्व आधारित उद्योग और निजी स्वामित्व आधारित

उद्योग जैसे भारतीय रेलवे, कोल इंडिया लिमिटेड, BSNL इत्यादि सार्वजनिक

स्वामित्व आधारित उद्योग है। जबकि रिलायंस, टाटा मोटर्स, महिन्द्रा और

महिन्द्रा जैसी ईकाइयाँ निजी स्वामित्व आधारित उद्योग है।

10th Geography vvi Question
10th Geography vvi Question

19. सोन नदी घाटी परियोजना से उत्पादित जल विद्युत का वर्णन कीजिए।

उत्तर = सोन नदी घाटी परियोजना बिहार की सबसे प्राचीन और प्रथम नदी घाटी परियोजना है। इसका विकास ब्रिटिश सरकार के द्वारा मुख्यतः सिंचाई के लिए किया गया था लेकिन इस परियोजना से जल विद्युत उत्पादन के लिए शक्ति गृहों की स्थापना भी की गई है। इसके पश्चिमी नहर पर डेहरी के पास 6.6 मेगावाट उत्पादन क्षमता का शक्ति गृह स्थापित किया गया है। जबकि पूर्वी नहर शाखा पर बारूण नामक स्थान पर को पोगावाद अमृता काS शक्ति गृह निर्मित किया गया है। जबकि इन्द्रापुरी के पास एक बाँध निर्माण प्रस्तावित है जिससे 450 मेगावाट पनबिजली उत्पादन का लक्ष्य है।

 

20. बिहार के प्रमुख ऊर्जा स्रोतों का वर्णन कीजिए और किसी एक स्रोत का विस्तृत वर्णन कीजिए ।

उत्तर = बिहार में ऊर्जा के स्रोत को मुख्यतः दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-

(i) परम्परागत ऊर्जा के त (ii) गैर-परमपरागत ऊर्जा के स्रोत गैर-परम्परागत ऊर्जा के स्रोत : बिहार में गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत के विकास की पर्याप्त संभावना है। बिहार के नवीकरणीय उर्जा विकास अभिकरण (वियाडा) का राज्य में उर्जा के गैर पारम्पारिक स्रोतों के जरिए दूरस्थ गाँवों के विद्युतीकरण तथा नवीकरणीय उर्जा के विकास के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है।

बिहार में 92 से अधिक स्थानों की पहचान की गई है। जहाँ लघु जल विद्युत परियोजनाओं को विकसित किया जा सके। इनकी कुल क्षमता 46.1 गावाट है। इसके अतिरिक्त बायोमास आधारित विद्युत उर्जा की क्षमता 200 मेगावाट है। इसी प्रकार पवन ऊर्जा आधारित विद्युत परियोजनाओं की स्थापना हेतु संभावित स्थलों की पहचान के लिए राज्य की नोडल एजेंसी चेन्नई के सहयोग से इसके कार्य चल रहा है। इन सब स्रोतों के अतिरिक्त de की भूसा से भी बिजली का उत्पादन होता है। इस हेतु इच्छित व्यक्ति सहकार सब्सिडी प्रदान कर रही है।

उच्चावच प्रदर्शन की कुछ महत्वपूर्ण विधियाँ निम्न हैं- (i) हैश्यूर विधि- इसमें स्थलाकृति का निरूपण उच्चावच को प्रदर्शित करते हुए होता है। इसमें छोटी, बड़ी, मोटी, पतली खंडित रेखाओं द्वारा धरातल की ऊँचाई से नीचाई के ढाल को प्रदर्शित किया जाता है। इसके द्वारा किसी स्थान की वास्तविक ऊँचाई नहीं दिखाई जाती है, बल्कि ढाल प्रवणता को दिखाया जाता है।

(ii) पर्वतीय छायाकरण विधि-यह विधि दाल प्रदर्शन की विधि है। इसके द्वारा लम्बवत एवं तिर्यक प्रकाश की किरणों के माध्यम से ढ़ाल की तीव्रता एवं मन्दता को दिखाया जाता है। (iii) तल चिह्न विधि- वास्तविक सर्वेक्षण द्वारा किसी स्थान का समुद्र 10th Geography Examination 2024

तल से ऊँचाई दिखाया जाता है। इसमें BM अक्षर लिखकर ऊँचाई को प्रकट किया जाता है।

(iv) स्थानिक ऊँचाई विधि-तल चिह्न की सहायता से किसी स्थान -विशेष की मापी गई ऊँचाई को स्थानिक ऊँचाई कहा जाता है। इस विधि में बिंदुओं के द्वारा मानचित्र में विभिन्न स्थानों की ऊँचाई को लिखा जाता A त्रिकोणमितीय विधि इस विधि का संबंध उन बिंदुओं से है

जिनका उपयोग सर्वेक्षण करते समय स्टेशन के रूप में हुआ था। इसमें

मानचित्र पर त्रिभुज बनाकर समुद्रतल से ऊँचाई लिख दी जाती है।

(vi) स्तर रंजन विधि – यह स्थलाकृति को प्रदर्शन की एक विधि है जिसमें धरातलीय ऊँचाई एवं निचाई की विभिन्न छायाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तथा जलीय भाग को नीले रंग से दिखाया जाता आपदा प्रबंधन (Disaster Management)

 

21. आपदा प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है ?

उत्तर = आपदा से होने वाले क्षति को उसका समुचित प्रबंधन कर कम किया

जा सकता है। आपदा को रोकने, उसकी तीव्रता को कम करने तथा आपदा

के पश्चात उससे होने वाले क्षति को आपदा प्रबंधन के माध्यम से न्यून किया

जा सकता है।

 

22. भूकंप और सुनामी के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर = भूकंप: पृथ्वी में होने वाले कम्पन को भूकम्प कहते हैं। जिसका कारण है आंतरिक भाग से ऊर्जा का उत्सर्जन । भूकम्पीय उर्जा के उत्पत्ति केन्द्र को (Focus) तथा भूकम्पीय उर्जा सर्वप्रथम धरातल पर जहाँ पहुँचती है उसे (Epicentre) अधिकेन्द्र कहते हैं। S

सुनामी : महासागरों में आने वाले भूकम्प एवं अन्य कारणों से जब समुद्र की ऊँची-ऊँची एवं लम्बी तरंगे उठती है, तो उसे सूनामी कहते है। जैसे ये लहरें तट की ओर आती है। इसकी ऊँचाई और लम्बाई बढ़ती है। तथा गति कम होती है जो तटीय क्षेत्र में भारी विनाशकारी होता है।

 

23. प्राकृतिक आपदा में उपयोग होने वाली किसी एक वैकल्पिक संचार माध्यम की चर्चा कीजिए ।

उत्तर = प्राकृतिक आपदा में संचार का अपना ही महत्व है। इसलिए विभिन्न

साधनों का उपयोग होता है। इसमें से एक महत्वपूर्ण साधन है- रेडियो संचार

साधन। रेडियो तरंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होते है, जिसे एंटीना द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित किया जाता है। रेडियो तरंगें निम्न, उच्च और अत्यधिक उच्च प्रीक्वेंसी की हो सकती है। रेडियो रिसीवर किसी खास फ्रीक्वेंसी पर रखकर हम खास संकेत प्राप्त कर सकते हैं। जैसे- लंबी दूरी से संपर्क साधने के लिए उच्च फ्रीक्वेंसी की तरंगों तथा बहुत अधिक फ्रीक्वेंसी वाली तरंगों का प्रयोग कम दूरी (5 से 50 किलोमीटर) के लिए किया जाता है । अत्यधिक उच्च फ्रीक्वेंसी के बैंडों का प्रयोग हाथवाला वायरलेस kumar से होता है। वॉकी-टॉकी जैसे बिना तार के यंत्रों का प्रयोग ऐसे समें महत्त्वपूर्ण होता है ।

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