10th Sanskrit Exam Subjective :- बिहार बोर्ड मैट्रिक संस्कृत परीक्षा महत्वपूर्ण लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ।
1. दामोदर गुप्त ने पटना के सम्बन्ध में क्या लिखा है ?
उत्तर= दामोदर गुप्त पटना के सम्बन्ध में अपने काव्य “कुट्टनी भतारणी”में कहते हैं-
“पृथ्वी के तिलक स्वरूप सरस्वती का घर, इन्द्र के स्वर्ग के समान पाटलिपुत्र नामक महानगर है ।”
2. पटना में कौमुदी महोत्सव कब मनाया जाता था ?
उत्तर= गुप्तवंश के शासन काल में शरदऋतु में पटना में कौमुदी महोत्सव मनाया जाता था। उस समय सभी लोग आनन्दमग्न होते थे। इस समय दुर्गापूजा के अवसर पर वैसा ही समारोह दिखाई पड़ता है ।
3. आलसशाला के कर्मचारियों ने आलसियों की परीक्षा क्यों और कैसे ली ?
उत्तर= अलसशाला के कर्मचारियों ने आलसियों की परीक्षा इसलिए ली कि जो लोग आलसी नहीं थे वे भी बनावटी आलस्य को दिखाकर भोजन ग्रहण करने लगे थे जिसके कारण आलसी भवन का अधिक धन खर्च होने लगा था। इससे परेशान होकर वहाँ के कर्मचारियों ने अग्नि का दान कर उनकी परीक्षा ली
4 . उपनिषद् में नारियों के योगदान का उल्लेख करें ।
उत्तर= संस्कृत साहित्य में प्राचीन काल से ही साहित्य समृद्धि में नारियों की भूमिका सराहनीय है। वैदिक युग में मंत्रों के वाचक न केवल ऋषिगण बल्कि ऋषि-पलियाँ भी हैं।
S उपनिषदों में नारियों के योगदान की बात की जाय तो उसमें भी नारियों का योगदान, सराहनीय है, क्योंकि वृद्धारण्यक उपनिषद् में याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रेयी की दार्शनिक रूचि वर्णित है जो याज्ञवल्क्य को आत्म तत्व की शिक्षा देती हैं। जनक की सभा की शोभा बढ़ाने वाली गार्गी का नाम भी बड़े आदर के साथ जाता है।
5. सभी संस्कारों के नाम लिखें। 10th Sanskrit Examination 2024
उत्तर= भारतीय संस्कार मूलतः पाँच प्रकार के हैं- जन्म के पूर्व गर्भाध न जन्म के समय नामकरण संस्कार, उपनयन संस्कार, पढ़ने के आरम्भ में वेदारम्भ संस्कार, गृहस्थ आश्रम के आरम्भ में विवाह संस्कार एवं मृत्यु के बाद अन्तेयेष्ठि संस्कार |
6. विवाह संस्कार का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर= भारतीय जीवन दर्शन का महत्त्वपूर्ण स्रोत स्वरूप विवाह संस्कार ही है। विवाह संस्कार से ही मनुष्य गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है। विवाह के पवित्र संस्कार में यहाँ अनेक प्रकार के कर्मकाण्ड होते हैं। उनमें वरदान, मण्डप निर्माण, बहु के घर में वर पक्ष का स्वागत, वर-वधु का परस्पर निरीक्षण, कन्यादान, अग्नि स्थापन, सिन्दूरदान आदि हैं।
7. नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर मूर्ख का लक्षण लिखें VID
उत्तर= वह मनुष्य मूर्ख हृदय वाला एवं मनुष्यों में नीच है, जो बिना बुलाए हुए प्रवेश करता है, बिना पूछे हुए बहुत बोलता है और नहीं विश्वास करने योग्य पर विश्वास करता है।
8. राम प्रवेश राम की चारित्रिक विशेषताएँ क्या थीं
उत्तर= रामप्रवेश राम ‘कर्मवीरकथा’ का प्रमुख पात्र है। इनका जन्म बिहार राज्य अन्तर्गत भीखनटोला में हुआ था । कभी खेतों में संलग्न रहनेवाले रामप्रवेश राम अध्यापक का सान्निध्य पाकर, विद्याध्ययन में जुट गए। गुरु के आशीर्वाद और मेहनत उनकी सफलता की सीढ़ी बनते गये। धनाभाव के बीच में उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा। विद्यालय स्तर से लेकर प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करते गये । केन्द्रीय लोक सेवा आयोग परीक्षा में उत्तीर्ण होकर उन्होंने समाज के समक्ष अपना आदर्श प्रस्तुत कर दिया । उनकी प्रशासन क्षमता और संकट काल में निर्णायक सामर्थ्य सभी को आकर्षित करती हैं?
9. महाशिवरात्रि पर्व स्वामी दयानन्द के जीवन का उदबोधक कैसे बना ?
उत्तर= स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म एक ब्राह्मण कुल में हुआ था । पिताजी स्वयं संस्कृत के उत्कट विद्वान् थे । परिवार में कर्मकाण्ड के प्रति आस्था थी । एक दिन शिवरात्रि के शुभ अवसर पर रात्रि जागरण का महोत्सव हुआ । शिव की मूर्ति पर इन्होंने एक चूहे को चहलकदमी करते हुए देखा । इनके मन में तरह-तरह के प्रश्न उठने लगे। उसी समय इनके मन में मूर्ति पूजा के प्रति अनास्था उत्पन्न हो गई । कुछ दिनों के बाद उनकी प्रिय बहन का निधन हो गया । इन घटनाओं ने ही उनकी जीवन दिशा को बदल दिया । उनमें वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया
10. स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धांतों के कार्यान्वयन हेतु क्या किया ? 10th Sanskrit Examination 2024
उत्तर= आधुनिक भारत के समाज और शिक्षा के महान उद्धारक स्वामी दयानंद हैं। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता को दूर कर एक नये समाज की स्थापना की। जातिवाद, अस्पृश्यता, धर्मकार्यों में आडम्बर आदि।
अनेक विषमताएँ थीं जिनसे समाज ग्रसित था । कर्मकांडी परिवार में जन्म लेने वाले स्वामी दयानंद को शिवरात्रि पर्व की रात्रि में अपने ज्ञान का उद्बोध न हुआ। बहन के निधन के बाद इनमें वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया । विरजानन्द का सान्निध्य पाकर वैदिक धर्मप्रचार एवं सत्य के प्रसार में अपने- जीवन को अर्पित कर दिया। भारतवर्ष में इन्होंने राष्ट्रीयता को लक्ष्य बनाकर भारतवासियों के लिए पथ प्रदर्शक का काम किया । दूषित प्रथा को खत्म कर शुद्ध तत्वज्ञान का प्रचार-प्रसार किया। वैदिक धर्म एवं सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना कर भारतवासियों को एक नई शिक्षा नीति की ओर अभिप्रेत किया ।
11. कर्णस्य दानवीरता’ पाठ के आधार पर दान के महत्त्व का वर्णन करें ।
उत्तर= कर्ण के अनुसार दिया गया दान और प्राप्त यश सदैव बना रहता है । अर्थात् दान सर्वश्रेष्ठ कृति है, लेकिन दान पात्रता को ध्यान में रखकर करना चाहिए, अन्यथा परोपकार विनाशक भी जाता है ।
12. वेदाङ्गों एवं उनके का नामोल्लेख करें ।
उत्तर= वेदांङ्ग शास्त्र छ: हैं । उनके तथा उनके रचनाकारों के नाम निम्नांकित हैं-
वेदांङ्ग
(i) शिक्षा
रचनाकार
पाणिनी
(ii) कल्प
बौद्धायन, भारद्वाज, गौतम, वशिष्ठ आदि ।
(iii) व्याकरण
पाणिनी
NATIO (iv) निरूक्त
पिंडूंगल
(v) छंद
बौद्धायन
(vi) ज्योतिष
लगध