BSEB Matric Hindi :- बिहार बोर्ड मैट्रिक हिंदी परीक्षा महत्वपूर्ण लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ।
1 . निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दस प्रश्नों के उत्तर लगभग 20-30 शब्दों में दें।
5 x 2 = 10
( 1 ) बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को क्यों मानते थे ?
उत्तर : –
बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को मानते थे। वे बिरजू महाराज का नृत्य करुणा बहुत ध्यान से देखती थीं। इसलिए, बिरजू महाराज को अपनी माँ के निर्णय पर पूर्ण विश्वास था।
( 2 ) संतू मछली लेकर क्यों भागा ?
उत्तर : –
भग्गू मछली काट रहा था। मछली काटने का उसका ढंग अत्यंत निर्ममतापूर्ण था (संतू उस ढंग से मर्माहत हो उठा। कुएँ में डालकर मछली को बड़ा करने के स्वप्न को पूरा करने के लिए संतू मछली को लेकर भागा।
( 3 ) गाँधीजी के अनुसार शिक्षा का जरूरी अंग क्या होना चाहिए ?
उत्तर : –
गाँधीजी के अनुसार, शिक्षा का जरूरी अंग है कि बालक प्रेम से घृणा को तथा सत्य से असत्य को पराजित करने की कला सीखे तथा आत्मबल से हिंसा पर विजय पाए।
( 4 ) कवि के जनता को ‘दूधमुंही’ क्यों कहा है?
उत्तर : –
कवि ने (रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने) राजनेताओं की दृष्टि में जनता को ‘दुधमुंही’ कहा है। राजनेता जनता को दुधमुंही बच्ची के समान अबोध समझते हैं जिसे दो-चार खिलौने के आकर्षण में फँसाकर अपना स्वार्थ सिद्ध किया जा सकता है।
( 5 ) ‘हमारी नींद’ कविता किस प्रकार के जीवन का चित्रण करती है?
उत्तर : –
‘हमारी नींद’ कविता सतत विकासशील जीवन का चित्रण करती है। हमारी नींद में न तो हमारा विकास अवरुद्ध होता है और न ही प्रकृति का हमारी नींद में भी जीवन की जय की कविता छंदोबद्ध होती रहती है।
( 6 ) बेटे के आँसू कब आते हैं और क्यों?
उत्तर : –
देवनागरी लिपि में वर्गों को साधने के क्रम में ‘ड’ वर्ण को नहीं साधने के कारण लाचारी और विफलता में बेटे के आँसू आ जाते हैं।
( 6 ) बड़े डॉक्टर पाप्पाति के बारे में पूछताछ क्यों कर रहे थे?
उत्तर : –
बड़े डॉक्टर अत्यंत संवेदनशील और ईमानदार थे। उनमें परोपकार की भावना भरी हुई थी। मेनिनजाइटिस से ग्रस्त पाप्पाति को अस्पताल में नहीं देखकर वे पूछताछ करने लगे।
( 7 ) सीता को अपने घर में घुटन क्यों महसूस होती है?
उत्तर : –
विधवा सीता अपने बेटों के ‘फर्ज’ के चक्कर में पिस रही है। उसके परिवार में सुख- शांति और आत्मीयता का अभाव है। अतः उसे अपने घर में घुटन महसूस होती है।
( 8 ) मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है?
उत्तर : –
नाखून पशुता के प्रतीक हैं। अतः, पशुता के प्रतीक नाखून जब भी बढ़ते हैं, तब ही मनुष्य तुम ठीक कह रही हो। (राधिका की छोटी बहन चाय लेकर आती है। दोनों चाय पीने लगती हैं। उन्हें काट डालता है। मनुष्य अपनी पशुता को दूर कर सच्चे अर्थों में मनुष्य बना रहना चाहता है
( 9 ) लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था ?
उत्तर : –
(लेखक को कई कारणों से नौकर रखना जरूरी हो गया था।) लेखक के सभी भाइयों और सगे-संबंधियों के यहाँ नौकर थे जिनके चलते उन्हें बहुत आराम था। लेखक के यहाँ नौकर नहीं होने से उसकी पत्नी को बहुत परेशानी थी।
( 10 ) बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुखद समय कब आया ?
उत्तर : –
बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुखद प्रसंग तब आया जब उनके पिताजी की मृत्यु हो गई।
( 11 ) ‘दिनकर’ की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं और वे कहाँ मिलेंगे?
उत्तर : –
दिनकर’ की दृष्टि में आज के देवता मजदूर और किसान हैं जो सड़कों पर गिट्टी तोड़ते और खेत-खलिहानों में काम करते मिलेंगे। जली मानव की छाया जो पत्थरों पर लिखी हुई है, हिरोशिमा में मनुष्य की के रूप में वर्तमान है।
( 12 ) हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में क्या है?
उत्तर : –
कवि अगले जन्म में अवाबील, कौवा, हंस, उल्लू और सारस बनने की संभावना व्यक्त करता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि वह अपनी मातृभूमि के प्रति प्रगाढ़ भक्ति भावना रखता है। भरे यौवन में मंगम्मा को उनके पति ने त्याग दिया। वह चाहती तो रंगप्पा से शादी कर सकती थी। पर, ऐसा नहीं कर उसने अपने ‘घरम’ को नहीं छोड़ा।
( 13 ) कवि जीवनानंद दास अगले जीवन में क्या-क्या बनने की संभावना व्यक्त करते हैं क्यों?
उत्तर : –
कवि जीवनानंद दास अगले जीवन में भोर के समय कलरव करनेवाले पक्षी अबाबील और कौवा बनने की संभावना व्यक्त करते हैं क्योंकि जीविका के कारण कवि अपनी मातृभूमि के साहचर्य से दूर चला जाना चाहता है।
( 14 ) मंगम्मा ने अपना ‘धरम’ नहीं छोड़ा, कैसे?
उत्तर : –
मंगम्मा अपने छोटे-से परिवार की स्वामिनी है। वह वात्सल्यमयी है। वह अपने पोते को बहुत प्यार करती है। वह पतित्यक्ता है। उसमें लोकजीवन के सारे संस्कार वर्तमान हैं। वह स्वाभिमानी है। इसलिए मंगम्मा ने अपना धर्म नहीं छोड़ा।
( 15 ) सीता की स्थिति बच्चों के किस खेल से मिलती-जुलती थी?
उत्तर : –
सीता की स्थिति बच्चों के उस खेल से मिलती-जुलती थी जिसमें बच्चे सरागवियों (जैन धर्मावलंबियों) के पाट पर ‘माई-माई रोटी दे’ वाला खेल खेलते
{ 16 }. निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
स्वर्ण शस्य पर-पद-तल लुंठित धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित,
क्रन्दन कंपित अधर मौन स्मित,
राहु प्रसित शरदेन्दु हासिनी !
उत्तर : –
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘गोधूलि’ भाग-2 में संकलित ‘भारतमाता’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं। कवि ने उपर्युक्त पद्यांश में भारतमाता की दीनावस्था का यथार्थ चित्रण किया है। कवि कहता है कि भारतमाता की सारी समृद्धि विदेशियों के पैरों पर पड़ी हुई है। भारतमाता धरती-सी सहिष्णु (सहनशील) हैं। उसका मन कुंठित है। उसके अधर क्रंदन से कंपित है। भारतमाता का हास राहुप्रसित है। उसके जीवन में केवल रुदन ही है, हास के लिए कोई स्थान नहीं है। इस पद्यांश की भाषा तत्सम प्रधान है। इसमें लक्षणा शक्ति तथा उपमालंकार का प्रयोग किया गया है।